Blog Dehradoon Dhanori Haridwar Kaliyar National Roorkee Sports Uttarakhand

मुकद्दस रमजान के आखिरी अशरह में मोमिन की होती है हर दुआ कबूल,है जहन्नुम से निजात का जरिया

Spread the love

रिपोर्ट ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की

रुड़की मुकद्दस रमजान महीने का आखिरी अशरह चल रहा है।इस आखरी अशरह में 21,23,25,27 और 29 की रात शबे कद्र की रात मानी जाती है।इन रातों में सभी मस्जिदों में कलाम-ए-पाक भी पूरा किया जाता है।कलाम-ए-पाक पूरा करने के साथ ही इन रातों में विशेष दुआएं की जाती है।मान्यता है कि शबे-कद्र की इन रातों में की गई दुआएं जरूर कबूल होती है।रमजान का महीना बंदे को तकवा यानी परहेज गारी हासिल करने और नेकियों का आदि बनाने के लिए सालाना तर्बियत की तरह है।रोजा रखने से पेट का ठीक होना,नफ्फासी ख्वाइश कम होना और जिस्मानी कूव्वत के लिए खाना जरूरी होना का पता चलता है।रोजे रखने से सब्र और हिम्मत के अलावा गरीबों की भूख और प्यास मिटाने का जज्बा या रूहानी कुव्वत मिल जाती है।बेवजह रोजा छोड़ने पर लगातार 60 रोजे रखने या 60 गरीबों को खाना खिलाने का सरियाई हुकुम हमें दुनिया के कानून और सजा को मानना सिखाता है।बीमार,कमजोर,बुजुर्ग,मुसाफिर या हैजो निफास वाली औरत को रोजा ना रखने की इजाजत दीन में आसानी की तरफ का इशारा है।रोजा छुपी इबादत तो छुपी शर्तों को अपनाने यानी खाने-पीने और गुनाहों से बचने के अलावा जिस्म के तमाम हिस्सों यहां तक कि दिमाग को बुरे ख्याल,पेट को हराम गिजा से बचाने पर ही पूरा होना रोजा कहलाता है।रोजेदार का मिलकर अफ्तार भाईचारा बढ़ाने या रंजिशे मिटाने का पैगाम देता है।रोजा खुदा का खौफ बढ़ाने में मददगार और अपने ऊपर कंट्रोल करने का जरिया है।इससे हम नशे जैसी बुरी आदतों और गुनाहों से बचने में कामयाब होते हैं।रोजे से जिस्मानी निजाम मजबूत होता है और शरीर के अंदर जमीन फालतू चर्बी घुल जाती है,जिससे कई बीमारियां खत्म हो जाती है।मौलाना नसीम अहमद कासमी,हाजी नौशाद अली,कुंवर जावेद इकबाल, हाजी मोहम्मद सलीम खान,जावेद अख्तर एडवोकेट,शेख अहमद जमा,अलीम सिद्दीकी,हाजी लुकमान कुरैशी,डॉक्टर जीशान अली का कहना है कि रोजा रखने में हुई गलतियों को दूर करने और इसकी कबूलियत के लिए मालदारों की तरफ से गरीबों को सदका-ए -फित्र दिए जाने का हुक्म आपसी मोहब्बत बढ़ाने का जरिया बनता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *