(रिपोर्ट:-ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की) रुड़की । बुधवार को बी. एस. एम.(पी. जी.) कॉलेज रूडकी में एंटी ड्रग सेल समिति के द्वारा एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉक्टर संतोष कुमार (सेवा निव्रत् पशु चिकित्सा अधिकारी) प्रोफेसर कृषि संकाय बी.एस.एम. पी. जी.कालेज रूडकी रहे। उन्होने कहा कि नशा मुक्ति महत्वपूर्ण मुद्दा है। व्यक्ति को स्वयं, समाज और देश के भविष्य के बारे में चिन्तन करते हुए नए सपनो को बुनना है, उस समय यदि वह नशे का आदी हो जाएगा तो जैसे दीमक अंदर ही अंदर व्यक्ति को खोखला बना देती हैं वैसे ही नशा व्यक्ति को अंदर ही अंदर खोखला बना देगा और वह व्यक्ति किसी काम का नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि नशा दो प्रकार का होता हैं अच्छा भी और बुरा भी और आप अपने जीवन मे ऊपर उठेंगे या नीचे गिरेंगे ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन से नशे का चुनाव करते हैं। यदि आप अच्छी आदते जैसे अख़बार पढ़ना, अच्छे चरित्र पढ़ना ,जनरल नॉलेज की किताबें पढ़ना और सोशल मिडिया का प्रयोग केवल ज्ञान बढ़ाने के लिए करेंगे तो आप जीवन मे ऊपर की और बढ़ेंगे वही यदि आप बीड़ी, गुटका या शराब आदि नशे के सेवन करेंगे तो आप तन,मन और धन सभी को नष्ट कर देंगे।नशे से बचाव का तरीका , युवाओं को नशे से दूर रहना है। युवाओ को उनके सामने आने वाली समस्याओ से लड़ना चाहिए, न कि वे नशे का रास्ता अपनायें। हर माता- पिता का कर्तव्य है कि बच्चों को ड्रग्स की चपेट मे आने से बचाने के लिए खुद पहल करें। अतः नशे से जितना दूर रहेंगे उतना ही उपयोगी होगा और उतना ही ” क्वालिटी ऑफ़ लाइफ” के लिए लाभदायक होगा। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. गौतम वीर जी ने कहा कि समाज मे नशावृत्ति बढ़ने की पहली वजह युवाओं को नशे के दुश्प्रभाव का पता नहीं होना है। दूसरा कारण बुरी संगत मे पड़कर फैशन के तौर पर नशा करना है। तीसरा कारण छोटी समस्याओ से निजात पाने के लिए नशा करना है। फिर नशा उसकी ताउम्र की बुराई बन जाता हैं। युवाओं को नशे की दलदल से बाहर निकालने के लिए सोच बदलने की जरूरत है। अतः युवाओं को गलत सोच अपनाने की बजाय अपनी योग्यताओं से ऊपर उठना चाहिए। अभिभावकों को बच्चों में नशा वृद्धि के लक्षण दिखने पर उसे डांटने की बजाय मित्रवत व्यवहार कर उनका उपचार करवाना चाहिए। प्रारंभिक स्थिति में उपचार शुरू हो जाए तो व्यक्ति जल्द नशा मुक्त हो जाता है। देरी होने पर नशा मुक्त होने में समय लगता है।आधुनिक फिल्मी चकाचोंध और सोशल मीडिया पर नशे की वीडियो आदि से भी युवाओं को दूर रहना चाहिए। महाविद्यालय के निदेशक रजनीश शर्मा ने छात्र-छात्राओं को संदेश दिया कि वर्तमान में युवा ना समझी के चलते खुशी के लिए नशा करता है। नशे में खुशी ढूंढना मूर्खता है जो युवाओ को अंदर से खोखला कर रही है। नशा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम करता है इससे कई तरह की बीमारियां शरीर को घेर लेती है। अतः युवाओं को अपनी उर्जा सकारात्मक कार्यों में लगानी चाहिए। युवा हमारी शक्ति है। जिस देश का युवा स्वस्थ होता है उसे देश को तरक्की की राह पर बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि आँकड़ो के मुताबिक इतनी मौतें बीमारियों से नही हो रही जितनी नशे के कारण हो रही।एंटी ड्रग सेल की नोडल अधिकारी डॉक्टर अलका तोमर ने भी छात्र-छात्राओं को संबोधित किया और कहा कि आधुनिक युग में जहां हम तकनीकी रूप से सुविधा संपन्न बनते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश की युवा पीढ़ी अवसाद और तनाव ग्रस्त होती जा रही है। युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, अभिभावकों की अपेक्षाओं का भार और प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने का डर उसे अवसाद की ओर धकेलता है । बेरोजगारी ,आधुनिक दिखने का भ्रम सामाजिक एवं पारिवारिक अनुशासन के प्रति विद्रोह की भावना, हाई प्रोफाइल जीवन शैली की लालसा जैसे अनेक कारण अवसाद की वजह है। इससे युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। अतः युवा अपनी क्षमता को पहचाने दूसरों से अपनी तुलना ना करें। खेलों से जुड़े। परोपकार के काम करें। इसी से अच्छे समाज का निर्माण होगा। छात्रों ने नशे के खिलाफ जागरूकता रैली भी निकाली जिसे प्राचार्य डॉ. गौतम वीर ने झंडी दिखा कर रवाना किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डॉक्टर शिखा जैन, डॉक्टर एस. के महला ,डॉक्टर संदीप पोस वाल, डॉक्टर इंदु अरोड़ा ,डॉक्टर संजय धीमान , डॉक्टर आशीष तोमर,सौरभ कुमार , अमित कुमार, सोनिया सैनी, नमीशा, डॉक्टर संगीता सैनी,प्रो भारत चन्द,प्रोफेसर संजय धीमान, डॉ दीपक डोभाल, प्रो दीपक शर्मा, डॉ सुष्मिता पन्त, नवजोत सिंह, श्री अभय कुमार ,डॉ परविंदर शास्त्री, श्री विकास शर्मा आदि मौजूद रहे। इस कार्यक्रम मे वर्णिका आर्य,रेणु यादव,सुहेल, रोहित पोगवाल, अहसान, नन्दिनी, सोनाक्षी,स्वाति, रजत, आदित्य, आकाश ,अंकुश,सावन,शिवा,नितिन राहुल आदि छात्र-छात्राओं का सहयोग रहा।