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मुकद्दस रमजान के अलविदा जुमा के मौके पर पैगंबर के बाल मुबारक की हुई जियारत

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रिपोर्ट ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की

मंगलोर रमज़ान के अलविदा जुमा के अवसर पर “पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब” के पवित्र बाल मुबारक और बगदाद के पिराने -पीर हज़रत “गोसे आज़म “के पवित्र बाल मुबारक की ज़ियारत परम्परागत रूप से मंगलौर के मोहल्ला किला स्थित काज़मी हाउस में कराई गई,जिसमें देश व दुनिया में अमन-शांति की दुआ की गई।काज़ी सैयद जमाल काज़मी ने मोहम्मद साहब के पवित्र बाल मुबारक की ज़ियारत कराते हुए बताया कि 800 वर्ष पूर्व बलबन बादशाह जो उस समय दिल्ली के तख्त पर विराजमान था,उसकी पोती के विवाह मंगलौर के उस समय के प्रसिद्ध रईस सैयद हातिम अली काज़मी से हुआ था,बलबन बादशाह ने अपनी पोती को तोहफे में चार चीज़े दी थी,जिनमें मोहम्मद साहब का पवित्र बाल मुबारक,पीरान ए पीर का बाल मुबारक और इमाम मूसा काज़िम के हाथ का लिखा कुरान शरीफ़ था।काज़मी ने बताया कि 800 साल से सादगी और बिना प्रचार-प्रसार के घर में ज़ियारत कराई जाती है।45 वर्षों से निरंतर बाल मुबारक की ज़ियारत करते आ रहे अंतरराष्ट्रीय शायर अफ़ज़ल मंगलौरी ने बताया कि मोहम्मद साहब का पवित्र बाल मुबारक की ज़ियारत देश के अनेक शहरों में कराई जाती है,जिनमें से अधिकांश पैग़म्बर मोहम्मद साहब के सिर के बाल मुबारक हैं,जबकि मंगलौर में मोहम्मद साहब के दाढ़ी के बाल मुबारक की ज़ियारत कराई जाती है जो केवल रमज़ान के आख़री जुमा को ही की जाती है।उन्होंने बताया कि बाल मुबारक की ज़ियारत सैकड़ों लोग करते हैं और ज़ियारत के पानी को प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जाते हैं तथा देश व विश्व शांति की कामना करते है।इस अवसर पर डॉ.अंजुम,अमजद काज़मी, गुलाम रसूल एडवोकेट, अफ़ज़ल मंगलोरी,डॉ.मोहसिन सिद्दीकी,अलीम काज़मी,शहाब काज़मी,कलीम फारूकी, गुलज़ार अहमद नज्म काज़मी,मो.यूनुस सुल्तानपुर, हमज़ा काज़मी आदि मौजूद रहे।

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