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हरिद्वार सिडकुल मेट्रो अस्पताल स्टाफ ने की हड़ताल मरीजों की बढ़ी परेशानियां, अस्पताल की कवरेज करने पहुंचे पत्रकार को जान से मारने की मिली धमकी

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रिपोर्ट चंदन कुमार शर्मा रुड़की

बहादराबाद सिडकुल थाना क्षेत्र अन्तर्गत राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर जहां एक और संपूर्ण भारत में चिकित्सकों को सम्मानित किया गया वहीं दूसरी और चिकित्सा जगत के इस गौरवपूर्ण दिवस पर सिडकुल स्थित प्रतिष्ठित मेट्रो अस्पताल के चिकित्सक व स्टाफ के सभी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए। अस्पताल स्टाफ के अचानक हड़ताल पर चले जाने के कारण वहां भर्ती मरीजों की जान पर बन आई।मरीजों के तीमारदार मेट्रो अस्पताल के चिकित्सकों व स्टाफ से रोगियों को देखने के लिए मनुहार करते रहे परंतु अस्पताल के स्टाफ का दिल नहीं पसीजा।उन्होंने अपनी मांगे पूरी नही किये जाने तक मरीजों का इलाज करने से मना कर दिया इलाज नहीं मिलने से परेशान अनेक मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से भी गुहार लगाई परंतु फिर भी मरीजों को कोई इलाज नहीं मिला।अस्पताल की अव्यवस्था से परेशान होकर परिजन इलाज के लिए उन्हें दूसरे अस्पताल में ले गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले कुछ समय से सिडकुल स्थित मेट्रो अस्पताल के प्रबंधन व चिकित्सको एवं स्टाफ में अनेक मुद्दों को लेकर गतिरोध बना हुआ हैं। चिकित्सकों व स्टाफ का आरोप हैं कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा पिछले कुछ समय से उन्हें वेतन आदि का भुगतान समय से नहीं किया जा रहा हैं।जिसके चलते वह भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।जबकि मेट्रो का समस्त स्टाफ कोरोना जैसी महामारी में भी मरीजों की देखभाल में दिन रात जुटा हुआ हैं।अस्पताल प्रबंधन द्वारा यहां कार्यरत स्टाफ को अनेकों बार वेतन आदि के भुगतान का आश्वासन दिया गया किंतु फिर भी उन्हें आज तक बकाए वेतन का भुगतान नहीं किया गया।जिसके चलते आज उन्होंने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर बिना वेतन मिले काम नहीं करने का निर्णय लिया। अस्पताल स्टाफ के अचानक हड़ताल पर चले जाने से दूर दूर से आए मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।यहां कार्यरत चिकित्सकों ने इमरजेंसी में भी मरीजों को देखने से मना कर दिया। अस्पताल में इलाज कराने आए गंभीर रूप से बीमार उमा दत्त के परिजनों ने दैनिक शाह टाइम्स संवाददाता और सच कहूॅं संवाददाता को बताया कि वह सुबह से अपने-अपने मरीज को लेकर मेट्रो अस्पताल के डॉक्टरों के चक्कर काट रहे हैं परंतु कोई भी डॉक्टर मरीज को देखने को तैयार नहीं हैं जबकि जबकि उनका मरीज दुर्घटनाग्रस्त इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं।जब डॉक्टर से मरीज को देखने के लिए बार-बार विनती की गई तो उन्हें इमरजेंसी में भर्ती करा दिया गया,लेकिन अभी तक किसी भी डॉक्टर ने उनकी सुध नही ली।यही हाल अपनी पत्नी का इलाज कराने पहुंचे अनुज कुमार का भी है।वह अपनी गर्भवती पत्नी के इलाज के लिए सुबह से डॉक्टरो से मिन्नते कर रहे हैं। परंतु कोई भी सुनने को तैयार नही हैं फिलहाल इस मुद्दे को लेकर मेट्रो अस्पताल के प्रबंधन व स्टाफ के बीच गतिरोध बना हुआ हैं।और चिकिसक अपनी मांग पूरी होने पर ही काम करने की मांग पर अडिग हैं।जिसका खामियाजा यंहा इलाज कराने आ रहे मरीजो को भुगतना पड़ रहा हैं।जो कि पिछले कई माह से इलाज यहीं करा रहे हैं। बावजूद इसके भी उनकी कोई सुनवाई वहां का स्टाफ इलाज देने के लिए तैयार नहीं हैं।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर चिकित्सकों की हड़ताल की खबर को मेट्रो अस्पताल प्रबंधन ने दबाए रखा।हड़ताल का पता चलने पर जब सच कहूॅं संवादाता अपने सहयोगी के साथ मेट्रो अस्पताल पहुंचे तो हड़ताली डाक्टरों व प्रबन्धन के एक गुट हो पत्रकारों पर हमला कर दिया जिसमें इनके द्वारा हड़ताल के चलते मरीजों की परेशानी की रिकॉर्डिंग कर रहें पत्रकार का मोबाइल छीन लिया गया और उनके साथ मारपीट करने की कोशिश की गई।जब अस्पताल में हड़ताल की कवरेज कर रहें पत्रकारों ने इसका विरोध किया तो उन्हें जहर तक का इंजेक्शन लगा कर मारने तक की धमकी दी गई।जिससे घबराकर पत्रकारों द्वारा इस सारी घटना की जानकारी सीओ सदर को दी।जिन्होंने तुरन्त थानाध्यक्ष सिडकुल को मौके पर जाकर पत्रकारों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का आदेश दिया परंतु इसके बाद भी थानाध्यक्ष सिडकुल एक घंटे बाद मौके पर पहुंचे और सारी घटना की जानकारी ली ।फिलहाल इस मामले में सिडकुल थाने में तहरीर दी गई हैं।परंतु अस्पताल के स्टाफ द्वारा पत्रकारों को जान से मारने की धमकी के बाद उन्हें अपनी जान का खतरा बना हुआ है ।

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