खाकी वर्दी के इस्पेक्टर इंद्रपाल सिंह की इंसानियत ने निभाया रिश्ता
उन्नाव से शादाब अली की रिपोर्ट
थाना बेहटा मुजावर इंस्पेक्टर इंद्रपाल सिंह कोरोना काल मे एक वर्दी का ही तो सहारा था जिसने टूटती उम्मीदों को फिर संभाला था। मौत पर खड़ी जिंदगी को अपने खून के कतरे से जिंदगी की डोर थमाई थी। मौत के बिस्तर पर साथ छोड़ चुके अपनो के कंधे में बैठ चिता पर जाने की ख्वाहिश को अनजाने रिश्तों में बंध वर्दी ने निभाया। रिश्ता न होते हुए भी मुखाग्नि तो मिट्टी में जमींदोश किया।भूखों को निवाला खिलाया तो दिन भर के काम के बाद खुद खाना बना भूखों को नाउम्मीदी के सहारे नही छोड़ा।।
कोरोना काल का कुछ ऐसा ही किस्सा रोजाना एक इस्पेक्टर इंद्रपाल सिंह की खाकी का है। जहां वर्दी ने खुद घायल होने की आह नही अपने आप अस्पताल में काफी दिन जिंदगी से संघर्ष करने के बाद बीच आम जनता सुरक्षा में अपनी पीठ पर कई जख्म खाये पर शायद उफ्फ न किया। समय ऐसा भी आया जिसमे अपने परिवार को खुद कोरोना का दर्द झेलने को उम्मीद रखने का हौसला दे हर दिन घर से निकल मोर्चा संभाला। वर्दी के इसी गौरवपूर्ण हिस्से को- मित्रता,सेवा ,सुरक्षा के भाव को जीवित रखने को वही उन्नाव ट्रेफिक इंस्पेक्टर पद पर रहते हुए ने वर्दी ने हाथ थामा’ में अपने शब्दों में क्या खूब सजाया है दर्द जितना बयान किया है उतना ही वर्दी को मिशन हौसले का वीर और वर्दी को वर्दी का ही तो सहारा बताया है। वर्दी ने मिशन हौसले में आम जनता को मदद का सहारा दिया तो वर्दी को घायल देख आत्मविश्वास बन कंधे का सहारा दिया।
उन्होंने अपनी में हर ‘एक वर्दी वाले के वर्दी’ के प्रति लगन व निष्ठा को सलाम कर उनके हर दिन के संघर्ष को शब्दों में उकेरा है।’मिशन हौसला एक शब्द नही एक हौसला’ यह वर्दी के बूते सच हुआ है,जिसको बयां करने को उनकी को आरडी इंटरनेशनल
*थानाध्यक्ष बेहटा मुजावर*
मिशन हौसला मात्र एक शब्द नही हिम्मत है यह एहसास कराना है,
बीमार,दलित, कमजोरों को फिर से खड़ा करें वो जज्बात जगाना है,
परिवार, कुटुंब, नातेदारों ने जब साथ छोड़ा-2
तब खाकी ने हाथ थामा है।।
खाकी ने भी ठाना है संकट काल में
सच्चे मित्र सा साथ निभाना है।
माना कि कोरोना रूपी अंधकार घना है,
फिर भी आशा का दीप जलाना है।
ध्रुव काल मे आगे बढ़ मित्रता, सेवा ,सुरक्षा का सम्मान बचाना है।
धर्म जाति के कुचक्रों से ऊपर उठ-2
पीड़ित,असहायों के दिलों में मकां बनाना है,
मिशन हौसला मात्र एक शब्द नही एक हिम्मत है यह एहसास कराना है।।
माना कि मेरा भी घर है,जिसकी जिम्मेदारी में परिवार, कुटुंब वाले है।
भाई-बहन,माँ-बाप,बेटा-बेटी,चाचा-चाची, ताऊ-ताई कहने वाले है,
पर आज हमें कर्तव्यों को सामाजिक रिश्तों से ऊपर रख-2
जमाने को दिखाना है।
मिशन हौसला मात्र एक शब्द नही एक हिम्मत है यह एहसास कराना है।।
कर्तव्यों के वेदी पर मात्र एक व्यक्ति नही,
मैं पूरी संस्था को इंगित करता हूँ।
अपने चाल, चरित्र, अनुशासन से हज़ारों लाखों में आचरण प्रस्तुत करता हूँ।
खाकी के लिए समाज मे बनी पूर्व ग्रही सोच-2
बदलने का बीड़ा उठाना है।
मिशन हौसला मात्र एक शब्द नही एक हिम्मत है यह एहसास कराना है।।
विपत्ति काल में मैं भी हारकर घर बैठ जाऊं मेरा यह स्वाभिमान नही
मैं भी समाज का व्यक्ति हूँ कर्तव्यों से पीछे हटूं ऐसा गिरा इंसान नही।
संकटकाल में आगे बढ़कर-2
मुझे-आप-सभी को अपना फर्ज निभाना है।
मिशन हौसला मात्र एक शब्द नही एक हिम्मत है यह एहसास कराना है।।
लूट,खसोट,कालाबाज़ारी, ठगी सब पर मैंने ही अंकुश लगाना है,
अहंकार, लालच, अभिमान छोड़ मानव को मानवता का पाठ पढ़ाना है।
थमती-उभरती सांसों को जो गति दे-2
खाकी में छिपे उस इंसान को दिखाना है।
मिशन हौसला मात्र एक शब्द नही एक हिम्मत है यह एहसास कराना है।।
खाकी एक रंग नही,स्वाभिमान है मेरा
हर एक को यह दिखाना है।
खाकी को आज़ाद हिंद फौज सा खोया सम्मान दिलाना है
हर दारुल पुकार लाचारी में-2
साथ खड़ी खाकी है यह विश्वास जगाना है,
मिशन हौसला मात्र एक शब्द नही एक हिम्मत है यह एहसास कराना है।।