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श्री भवानी शंकर आश्रम में खिचड़ी के भोग और तुलसी-शालिग्राम विवाह की कथा कही गयी

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(रिपोर्ट:-ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की) रुड़की। श्री भवानी शंकर आश्रम रुड़की में संगीतमय भक्तमाल कथा एवं नानी बाई जी का मायरा बुधवार 22 नवंबर 2023 से रविवार 26 नवंबर 2023 तक आयोजित किया जा रहा है। श्री बीना शर्मा जी (भोपाल) के श्री मुख से संगीतमय भक्तमाल कथा, नानी बाई जी का मायरा आदि भक्त कथाओं का वाचन हो रहा है। आज खिचड़ी के भोग की कथा कही गयी। कर्मा बाई, श्रीकृष्ण की भक्त, जगन्नाथ पुरी में रहती थीं और उन्हें पुत्र की तरह पूजती थीं। एक दिन, उन्होंने ठाकुर जी को खिचड़ी बनाकर खिलाई। भगवान ने उनसे रोज खिचड़ी बनाने का आग्रह किया। एक बार एक महात्मा ने कर्मा बाई को सुबह स्नान के बाद पूजा करने की सलाह दी, लेकिन बाद में उन्हें समझाया गया कि भगवान उनकी भावना से खिचड़ी खाते हैं। इस तरह आज भी जगन्नाथ भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा, तुलसी और शालिग्राम विवाह की कथा भी कही गयी । भगवान श्रीकृष्ण और तुलसी की पौराणिक कथा में, तुलसी (वृंदा) ने शंखचूड़ असुर से विवाह किया था। शंखचूड़ के दुराचार के कारण देवताओं ने विष्णुजी से उसके वध का उपाय मांगा। विष्णुजी ने शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी का सतीत्व भंग किया, जिससे उसकी शक्ति समाप्त हुई और शिवजी ने उसका वध किया। तुलसी ने विष्णुजी को पत्थर बनने का श्राप दिया। विष्णुजी ने तुलसी को पौधे और नदी के रूप में रहने की बात कही और उनके विवाह को पुण्य माना। तुलसी आज भी गंडकी नदी और पौधे के रूप में मौजूद हैं,जहां शालिग्राम पाए जाते हैं।

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