रिपोर्ट :-ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की
कार्यशाला का उद्देश्य, लुप्त होती गौरैया के संरक्षण हेतू छात्र-छात्राओ को जागरूक करना था। कार्यशाला के अंतर्गत छात्र-छात्राओ द्वारा गौरैया का घोंसला बनाने और सुसज्जित करने का कार्य किया गयाI गौरैया संरक्षण हेतु बने हुए घोंसले को महाविद्यालय परिसर में स्थापित किया गयाI इस अवसर पर महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ के पी सिंह द्वारा छात्र-छात्राओ को गौरैया संरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी व जन्तु विज्ञान विभाग द्वारा किए गए इस कार्य की सराहना की। प्राचार्य डॉ राजेश चंद्र पालीवाल ने कहा कि बढ़ते हुए शहरीकरण व पेड़ों को अधिक संख्या में काटने के कारण गौरैया धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। ऐसी स्थिति में गौरैया संरक्षण के लिए हम सबको उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। जन्तु विज्ञान विभाग की प्राध्यापक डॉ रश्मि नौटियाल ने कहा की गौरैया हमारे पारिस्थितिकी संतुलन के लिए अति महत्वपूर्ण है इनके विलुप्त होने से मानव जीवन को भी खतरा हो सकता है अतः गौरैया संरक्षण के लिए छात्रों को जागरूक करना अति आवश्यक है। डॉ नेहा सिंह ने कहा की गौरैया संरक्षण की जिम्मेदारी प्रत्येक मानव की है अतः गौरैया संरक्षण के लिए किया जा रहा यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि गौरैया के विलुप्त होने का मुख्य कारण कीटनाशकों का अधिक उपयोग, शहरीकरण, अंधाधुंध पेड़ों का कटान व लोगों का इस छोटी-सी चिड़िया के प्रति असंवेदनशील होना है। इस कार्यशाला का आयोजन संयुक्त रूप से डॉ नेहा सिंह व डॉ रश्मि नौटियाल द्वारा किया गया l इस अवसर पर डॉ अजीत कुमार राव, डॉ विकास तायल, डॉ प्रियंका सैनी, डॉ दुर्गा रजक, डॉ सारिका महेश्वरी, डॉ स्मृति कुकशाल, श्री दीपक कुमार आदि उपस्थित रहे।