रिपोर्ट ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की
रुड़की शबे बरात यानी गुनाहों से माफी की रात।मुसलमानों ने मस्जिदों,खानकाओं और घरों में पूरी रात इबादत कर खुदा बंद करीम से मगफिरत (मुक्ति) गुनाह से माफी की दुआएं मांगी।जामा मस्जिद रुड़की में छोटे-बड़ों ने कुरान की तिलावत की और नमाजें पढ़ी।उलेमाओं ने इस बाबत रात भर रोशनी डालते हुए कहा कि इस रात में अल्लाह ताला फरमाता है कि कोई है जो अपने गुनाहों की माफी मांगे।मगफिरत की दुआ मांगे।मैं हर बंदे की दुआ कबूल कर लूंगा।इस रात में सभी मुसलमान पूरी रात इबादत करते हैं और कब्रिस्तान में जाकर मगफिरत की दुआ भी करते हैं।जामा मस्जिद में मौलाना अरशद काजमी,मुफ्ती मोहम्मद सलीम व मौलाना अजहर उल हक ने इस रात की फजीलत पर अपने बयान ने कहा कि यह इबादत की रात है।शबे बरात के बाद पवित्र रमजान का महीना शुरू होगा जो सब्र का महीना है।रोजे के जरिए अल्लाह अपने बंदों को अजमाता है।हमें शबे बरात के दिन हर बुराई से तौबा कर नेक रास्ते पर चलने और सच्चाई के रास्ते पर चलकर अपनी जिंदगी गुजारनी चाहिए।