एक कहावत बड़ी सटीक बैठती है की बगल में छुरा और पूरे गांव में ढिंढोरा।
*लेकिन सफीपुर उप जिलाधिकारी महोदय का देखिए कार्य के बगल में छुरा बाकी और लॉक डॉन का ढिंढोरा।*
*मैं यह नहीं कहता कि लॉक डाउन में प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता बरती जाए।*
*चालान भी किए जाएं लेकिन एक समान इसमें चाहे जो भी हो।*
*चालान करने का मतलब यह नहीं है कि व्यापारी ही हल्का है। मैं यह भी नहीं कहता कि खुली दुकानों के व्यापारियों के चलाना न किये जायें। आपको बताते चलें सफीपुर उप जिलाधिकारी की मौजूदगी व नाक के नीचे तहसील परिसर के बाहर सैकड़ों की तादाद मोटरसाइकिल खड़ी है। यह इस बात का पुख्ता सबूत है की यहां के अधिकारी लॉक डाउन का कितना पालन करा रहे। वह भी उन्नाव हरदोई मुख्य मार्ग पर।*
*मैं यह नहीं कहता कि व्यापारियों के चालन न किए जाय*।
सफीपुर बैंकों के सामने सैकड़ों की तादाद में खाताधारक खड़े हैं। जिसपर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं। प्राइवेट चलती डग्गामार बसों में भूसा ऐसे सवारियां भरी हुई जा रही हैं प्रशासन का इस पर कोई ध्यान नहीं। उच्चाधिकारियों को दिखाने के लिए आज मैंने इतने चालान किए इतना समन शुल्क वसूला। वाह भाई वाह स्थानीय प्रशासन की वाहवाही।