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रोजा इंसान को तमाम बुराइयों से बचाने का माध्यम है,जो हमें नेक रास्ते की तरफ ले जाता है

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रिपोर्ट ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की

रुड़की।माहे रमजान के दूसरे जुमा की नमाज और अल्लाह की इबादत मुस्लिम महिलाएं जहां अपने-अपने घरों में अदा करेंगी,वहीं मर्द और बच्चे मस्जिदों और खानकाहो में जुमा की नमाज अदा करेंगे।सवेरे सहरी खाकर रोजे की नियत करने और उसके बाद नमाज अदा करने का यह महीना दिन भर भूखे प्यासे रहकर गुनाहों से तौबा करने का महीना है मुस्लिमों का पवित्र महीना रमजान उल मुबारक का आज दूसरा जुमा है।पहले दिन से रमजान को लेकर मुस्लिमों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।सवेरे तीन बजे से ही मस्जिदों से आवाजें आनी शुरू हो जाती है।घरों में पकवान बनाए जाते हैं।सहरी खाकर औरतें,बच्चे,युवा तथा बुजुर्ग रोजे रखने की नियत करते हैं।फज्र की नमाज के बाद मस्जिदों में दीन की बातें होती है।हाजी राव शेर मोहम्मद,हाजी मोहम्मद सलीम खान,हाजी नौशाद अहमद और अलीम सिद्दीकी का कहना है कि माहे रमजान पूरे साल में एक बार आता है,जिसकी हमें कदर करनी चाहिए।रोजे रखकर नमाज अदा करनी चाहिए,साथ ही दिन में कुरान की तिलावत भी करनी चाहिए।रोजा इंसान को तमाम बुराइयों से बचाता है और रोजा हमें जीवन जीने का सलीका भी सिखाता है,यही नहीं रोजे रखने से हम जान पाते हैं कि एक भूखे इंसान की मदद कितनी जरूरी होती है।उन्होंने सभी से बुराइयों से दूर रहने और नेकी करने का आह्वान किया।

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