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नेहरू कॉलोनी पुलिस ने की मानवता की मिसाल कायम

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देहरादून से। शादाब अली की रिपोर्ट

अस्पताल में मृत छोड़ चले गए परिजन,पुलिस ने किया अंतिम संस्कार

 

देहरादून-: बीमार इंसान को बीमारी में सबसे ज़्यादा जिसकी जरूरत होती है वह होता है परिवार और मरते हुए भी इच्छा कि परिजन आखिरी वक्त में साथ हो। किन्तु आज इसे हम ‘कल्पना मात्र’ की संज्ञा दे न तो कुछ गलत न होगा शायद आज का वाक्य देख कर तो बिल्कुल गलत नही होगा।

यह वाक्य सोचने में ही बहुत शर्मनाक व हृदय विदारक है जहां एक व्यक्ति के मरने के बाद उसके परिजन उसके मृत शरीर को अस्पताल में ही छोड़ गांव चले।उस मृत शरीर को जिस कंधों की जरूरत थी वह तो नही आये पर फिर भी उस मृत शरीर के अंतिम संस्कार हुआ। वह कंधे खाकी ओढ़े थे जिन्होंने वर्दी के साथ बंधे मानवीय मूल्यों के खातिर उन मृतक का अंतिम संस्कार कर वर्दी को नजीर बना मार चुके मानवीय मूल्यों पर मरहम लगा दिया।

आज राजधानी देहरादून के नेहरू कॉलोनी स्थित कनिष्क अस्पताल द्वारा थानाध्यक्ष नेहरू कॉलोनी राकेश गुसाईं को फ़ोन कर एक व्यक्ति के मृत होने की जानकारी दी गयी जिसके परिजन उसे अस्पताल में ही छोड़ चले गये है। जानकारी पर चौकी प्रभारी बाईपास मानवेंद्र दो कांस्टेबल सहित जब अस्पताल पहुँचे तो उन्होंने बताया कि 6 मई को रघुवीर सिंह रावत पुत्र रतन सिंह रावत निवासी भेगोती शेरा भागीरथ पुरम टिहरी गढ़वाल को इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए। कल 9 मई को रघुवीर सिंह की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद मृतक के साथ आयी उनकी भाभी कांता देवी व उनका भतीजा राज रावत मृतक को ऐसे ही छोड़ अपने गांव चले गए। अस्पताल प्रशासन द्वारा उन दोनों को बहुत फ़ोन किया किन्तु उनके फ़ोन बंद आ रहे है।
चौकी प्रभारी बाईपास द्वारा भी मृतक के परिजनों से संपर्क साधने की कोशिश की गई किन्तु कोई संपर्क नही हो पाया जिसके बाद उन्होंने मृतक के गांव के प्रधान से संपर्क किया गया तो प्रधान द्वारा मृतक के परिजनों के गांव आने की पुष्टि की गई किन्तु उन्होंने मृतक का अंतिम संस्कार करने दून आने से मना कर दिया।पुलिस द्वारा जब काफी कोशिश के बाद मृतक की भाभी से बात कि गयी तो उन्होंने पुलिस को ही मृतक का अंतिम संस्कार करने को कह दिया और व्हाट्सएप्प के माध्यम से पुलिस को प्रार्थना पत्र तक भेज दिया। कोरोना महामारी नियमों के चलते शव ज़्यादा देर अस्पताल में न रखने के चलते उप निरीक्षक मानवेंद्र सिंह ने अपने साथी कांस्टेबल के साथ पुलिस कर्म गणों की मदद से एंबुलेंस की व्यवस्था कर स्वयं पीपीई किट पहनकर मृतक के शव को अंतिम संस्कार हेतु रायपुर ले जाया गया जहां पर मृतक के शव का अंतिम संस्कार किया।

यह वाक्या सच मे सोचने पर मज़बूर करता है कि कोरोना ने इंसान को इतना अमानवीय बना दिया कि वह रिश्तों की गहराई भूल गया। और दूसरे ही कदम पर जिन कंधों के साथ कोई रिश्ता न था उन्होंने आगे आकर मृतक को कंधा देकर अपना फर्ज निभा ”वर्दी हर पल आपके साथ,आपकी सुरक्षा में तैनात” का भरोसा सच कर दिया।सलाम है वर्दी को,वर्दी धारकों जो जिंदगी बचाने को भी मोर्चा संभाले है और मृत जिंदगी को मुखाग्नि में भी।

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