रिपोर्ट ब्रह्मानन्द चौधरी रुडकी
रुड़की खतरनाक व जानलेवा बीमारियों से पीड़ित मरीजों को लाभ पहुंचाने वाली दवाइयां। जान लेने का काम भी कर रही हैं। हम जिक्र कर रहे हैं ऐसी दवाओं का, जिनका प्रयोग खासी, कफ, मस्तिक , घबराहट आदि के इलाज में किया जाता है। कानूनी मनाही के बावजूद इन बीमारियों में लाभप्रद दवाइयां बिना चिकित्सकीय जांच के अधिकतर दवा की दुकानों पर धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। नशा करने वाले लोग इस तरह की दवाई का खूब उपयोग कर रहे हैं। इनमें किशोर व युवाओं की संख्या अधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लागू शेड्यूल: एनडीपीएस (नैरोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज) एक्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी शेड्यूल के तहत कुछ दवाओं की बिक्री चिकित्सक परामर्श के बिना पूरी तरह से रोक लगाई गई है।
रुड़की क्षेत्र के कलियर, मंगलौर लंढौरा आदि जगह मेडिकल स्टोर नियमो को ठेंगा दिखाकर खुलेआम बेच रहे है। पर ड्रग विभाग के अधिकारी इन पर कड़ी कानूनी कार्यवाही करते नही दिख रहे है। अगर ड्रग विभाग ने समय रहते इन मैडीकलो पर कड़ी कार्यवाही नही की तो युवाओं का जीवन बर्बाद हो जाऐगा। सरकारी आदेशों के मुताबिक ब्रेन, घबराहट,कफ, खासी आदि बीमारियों के इलाज में प्रयुक्त होने वाली टेबलेट, कैप्सूल, इंजेक्शन व सीरप डाक्टरी पर्चे पर ही बेचने का प्रावधान है। बावजूद इसके बाजार में एल्प्राजोलम टेबलेट, डायजापाम, कोरेक्स सिरप,प्रोक्सीवन आदि दवाइया धड़ल्ले से बिना चिकित्सक परामर्श के बेची जा रही है। रुड़की क्षेत्र में प्रतिमाह इनकी बिक्री लाखों रुपये में है। दु:खद पहलू यह हे कि इन दवाओं का सेवन करने वाला वर्ग 12 वर्ष से 30 वर्ष तक के आयु के हैं।