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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भर्तियों का पिटारा खोलने के जुमले और झूठे नारों से केवल बेरोजगारों को बहलाने का काम किया है:-आशीष सैनी

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रिपोर्ट ब्रह्मानंद चौधरी रुड़की

उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने रोजगार देने के नाम पर अशासकीय डिग्री कॉलेज में आवश्यक शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगा दी है। यह रोक 2 नवंबर 2020 से यानी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से शुरू होकर तीरथ सिंह रावत से होते हुए पुष्कर सिंह धामी तक जारी है। हालात इतने खराब है कि कुछ विषयों के तो एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं है।

मित्रों यह सब अकारण नहीं है क्योंकि भाजपा जानती है कि सरकारी डिग्री कॉलेज में प्रदेश के गरीब एवं मध्यम आय-वर्ग के छात्र पढ़ते हैं। शिक्षा से वंचित रखते हुए भाजपा गरीबों, पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करना चाहती है। जब भाजपा आरक्षण को हटाने में नाकाम रही तो अब भर्तियों पर रोक लगाकर इन वर्गों के छात्र-छात्राओं को रोजगार एवं शिक्षा के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है।

हमारी मांग है कि तत्काल चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाए एवं खाली पदों को तत्काल भरा जाए। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है (जिसकी हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार कुछ नहीं करेगी) तो डिग्री कॉलेजों में खाली पदों पर भर्ती पूरी करना कांग्रेस पार्टी के 2022 के घोषणापत्र का मुख्य एजेंडा होगा। उत्तराखंड के युवाओं के शिक्षा के अधिकार पर चोट करने वाली सरकार को राज्य से जाना होगा।

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